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फास्टर नोट्स-2018 बी. ए. प्रथम वर्ष शिक्षाशास्त्र प्रथम प्रश्नपत्र

यूनिवर्सिटी फास्टर नोट्स

प्रकाशक : कानपुर पब्लिशिंग होम प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :136
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 307
आईएसबीएन :0

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बी. ए. प्रथम वर्ष (सेमेस्टर-1) शिक्षाशास्त्र के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार हिन्दी माध्यम में सहायक-प्रश्नोत्तर

प्रश्न- शिक्षा के व्यापक व संकुचित अर्थ को स्पष्ट कीजिए तथा शिक्षा के व्यापक व संकुचित अर्थ में अन्तर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर -

शिक्षा का व्यापक अर्थ
(Wider Meaning of Education)

व्यापक अर्थ के अनुसार शिक्षा आजीवन चलने वाली प्रक्रिया है। मनुष्य का सम्पूर्ण जीवन शिक्षा का काल है और व्यक्ति अपने जन्म से मृत्यु तक कुछ न कुछ सीखता ही रहता है। यह शिक्षा के व्यापक अर्थ के अन्तर्गत माना जाता है। ऐसी शिक्षा किसी विशेष व्यक्ति समय, स्थान, देश तक ही सीमित नहीं रहती बल्कि बालक जिसके भी सम्पर्क में आकर जो कुछ भी सीखता है, वह शिक्षा के अन्तर्गत आता है। जब बालक का जन्म होता है तो जन्म के समय वह बहुत ही असहाय अवस्था में होता है और उसी समय उसके सीखने की प्रक्रिया भी आरम्भ हो जाती है। वह सबसे पहला पाठ अपनी माँ की गोद में सीखता है फिर धीरे-धीरे वह घरेलू वातावरण से सीखता है। इसके बाद वह जैसे-जैसे बड़ा होता है तथा समाज के लोगों के सम्पर्क में आता है वैसे-वैसे वह सीखता रहता है। अतः शिक्षा जन्म से लेकर जीवन के अन्तिम क्षण तक चलती रहती है। कुछ शिक्षाशास्त्रियों का मानना है कि - "जीवन ही शिक्षा और शिक्षा ही जीवन है।' (Life is education and education is life in itself).
शिक्षा के व्यापक अर्थ को और अधिक स्पष्ट करने के लिए कुछ प्रमुख विद्वानों ने अपने विचार निम्न प्रकार व्यक्त किए हैं-
टी. रेमेण्ट (T. Raymonte) के अनुसार, "शिक्षा विकास की वह प्रक्रिया है जिसमें मनुष्य की बचपन से प्रौढ़ावस्था तक की अवधि निहित है, यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें वह धीरे-धीरे विभिन्न प्रकार से स्वयं को भौतिक, सामाजिक और आध्यात्मिक वातावरण के अनुकूल बनाता है।
"Education is a process of development in which consist the passage of a human being from infancy to maturity the process where by he adopts himself gradually in various ways to his physical, social and spiritual environment."
जे. एस. मेकेन्जी के अनुसार - "व्यापक अर्थ में शिक्षा एक ऐसी प्रक्रिया है, जो आजीवन चलती रहती है और जीवन के प्रायः प्रत्येक अनुभव से उसके भण्डार में वृद्धि होती है।'
"In wider sense, it is a process, that goes on throughout life and is promoted by almost every experience in life."
डम्बिल के अनुसार - "शिक्षा के व्यापक अर्थ में वे समस्त प्रभाव सम्मिलित होते हैं जो व्यक्ति पर उसकी उत्पत्ति होने से मृत्यु तक की यात्रा के मध्य प्रभाव डालते हैं।"
"Education is its widest sense, include all influence which act upon an individual during his passage from cradle to grave."

शिक्षा का संकुचित अर्थ
(Narrow Meaning of Education)

शिक्षा के संकुचित अर्थ के अनुसार बालक को विद्यालय में दी जाने वाली शिक्षा से है। इस प्रकार की शिक्षा एक निश्चित योजना, निश्चित समय एवं स्थान, निश्चित शिक्षण विधि तथा शिक्षक के माध्यम से प्रदान की जाती है। इसके अनुसार शिक्षा को कुछ विशेष प्रभावों तथा विषयों के अध्ययन तक ही सीमित मान लिया जाता है। यह शिक्षा बालक का सर्वागीण विकास नहीं करती है। इसलिए इसे पुस्तकीय ज्ञान एवं विद्यालयी शिक्षा की संज्ञा भी प्रदान की जा सकती है। शिक्षा के संकुचित अर्थ को स्पष्ट करते हुए कुछ प्रमुख विद्वानों ने अपने मत निम्न प्रकार से व्यक्त किए हैं जो निम्नलिखित हैं.
प्रो. ड्रीवर के अनुसार - "शिक्षा एक प्रक्रिया है जिसमें तथा जिसके द्वारा बालक के ज्ञान, चरित्र तथा व्यवहार को एक विशेष साँचे में ढाला जाता है।'
"Education is process in which and by which the knowledge, character and behaviour of the young are shaped and moulded."
मैकेन्जी के अनुसार - "संकुचित अर्थ में शिक्षा का अर्थ हमारी शक्तियों के विकास तथा सुधार लिए चेतनापूर्वक किए गए प्रयासों से लिया जाता है।'
"In narrow sense education may be taken to mean any consciously directed effort to develop and cultivate our powers.
जी. एच. थॉमसन के अनुसार - "शिक्षा एक वातावरण है जिसका प्रभाव बालक के चिन्तन, दृष्टिकोण तथा व्यवहार करने की आदतों पर स्थायी रूप से परिवर्तन के लिए डाला जाता है।'
"The influence of the environment on the individual with a view to producing a permanent change in his habits of behaviour of thought and attitude."

शिक्षा के व्यापक व संकुचित अर्थ में अन्तर
(Difference between Wider and Narrow Meaning of Education)

 

क्रम व्यापक शिक्षा संकुचित शिक्षा
1. व्यापक अर्थ में शिक्षा मनुष्य के जीवन पर चलती है। इसमें वह शिक्षा भी सम्मिलित होती है जिसे संकुचित शिक्षा अथवा विद्यालयी शिक्षा कहते हैं। संकुचित अर्थ में शिक्षा मनुष्य के जीवन में एक निश्चित काल में ही चलती है। इसके क्षेत्र में केवल विद्यालयी शिक्षा ही आती है।
2. इसमें अनियोजित एवं नियोजित दोनों प्रकार की शिक्षा आती है। इसमें केवल नियोजित शिक्षा आती है।
3. इस शिक्षा के उद्देश्य अतिव्यापक होते हैं, उन्हें सीमा में नहीं बांधा जा सकता है. इस शिक्षा के उद्देश्य सुनिश्चित होते हैं, उनकी अपनी सीमा भी निश्चित होती है।
4. इस शिक्षा की पाठ्यचर्या अति व्यापक होती है उसे सीमा में नहीं बाँधा जा सकता। इस शिक्षा की पाठ्यचर्या सुनिश्चित होती है, उसकी अपनी सीमा होती है।
5. इस शिक्षा की शिक्षण विधियाँ विविध होती है, उन सबका वर्णन नहीं किया जा सकता। इस शिक्षा हेतु कुछ शिक्षण विधियों का विधान किया जाता है, उनका वर्णन भी किया जा सकता है।
6. यह शिक्षा किसी भी स्थान पर चल सकती है यह शिक्षा केवल विद्यालयों में ही चल सकती है।
7. यह शिक्षा किसी भी समय चलती रहती है। इस शिक्षा के लिए समय पूर्व निश्चित होता है।
8. यह शिक्षा किन्हीं दो या अधिक व्यक्तियों के बीच चलती है। यह शिक्षा निश्चित शिक्षकों और शिक्षार्थियों के बीच चलती है।
9. इस शिक्षा का परिणाम अनिश्चित होता है और वह वांछित भी हो सकता है और अवांछित भी। इस शिक्षा का परिणाम निश्चित प्रायः होता है और वह प्रायः वांछित ही होता है।


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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- वैदिक काल में गुरुओं के शिष्यों के प्रति उत्तरदायित्वों का वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा में गुरु-शिष्य के परस्पर सम्बन्धों का विवेचनात्मक वर्णन कीजिए।
  3. प्रश्न- वैदिक शिक्षा व्यवस्था की प्रमुख विशेषताओं की विवेचना कीजिए। वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में सुधार हेतु यह किस सीमा तक प्रासंगिक है?
  4. प्रश्न- वैदिक शिक्षा की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  5. प्रश्न- प्राचीन भारतीय शिक्षा के कम से कम पाँच महत्त्वपूर्ण आदर्शों का उल्लेख कीजिए और आधुनिक भारतीय शिक्षा के लिए उनकी उपयोगिता बताइए।
  6. प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा के मुख्य उद्देश्य एवं आदर्श क्या थे? वैदिक काल में प्रचलित शिक्षा के मुख्य गुण एवं दोष बताइए।
  7. प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा के मुख्य उद्देश्य क्या थे?
  8. प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा के प्रमुख गुण बताइए।
  9. प्रश्न- प्राचीन काल में शिक्षा से क्या अभिप्राय था? शिक्षा के मुख्य उद्देश्य एवं आदर्श क्या थे?
  10. प्रश्न- वैदिककालीन उच्च शिक्षा का वर्णन कीजिए।
  11. प्रश्न- प्राचीन भारतीय शिक्षा में प्रचलित समावर्तन और उपनयन संस्कारों का अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  12. प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा का मुख्य उद्देश्य ज्ञान का विकास तथा आध्यात्मिक उन्नति करना था। स्पष्ट कीजिए।
  13. प्रश्न- आधुनिक काल में प्राचीन वैदिककालीन शिक्षा के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
  14. प्रश्न- वैदिक शिक्षा में कक्षा नायकीय प्रणाली के महत्व की विवेचना कीजिए।
  15. प्रश्न- वैदिक कालीन शिक्षा पर प्रकाश डालिए।
  16. प्रश्न- शिक्षा से आप क्या समझते हैं? शिक्षा के विभिन्न सम्प्रत्ययों का उल्लेख करते हुए उसके वास्तविक सम्प्रत्यय को स्पष्ट कीजिए।
  17. प्रश्न- शिक्षा का अर्थ लिखिए।
  18. प्रश्न- शिक्षा से आप क्या समझते हैं?
  19. प्रश्न- शिक्षा के दार्शनिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
  20. प्रश्न- शिक्षा के समाजशास्त्रीय सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
  21. प्रश्न- शिक्षा के राजनीतिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
  22. प्रश्न- शिक्षा के आर्थिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
  23. प्रश्न- शिक्षा के मनोवैज्ञानिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
  24. प्रश्न- शिक्षा के वास्तविक सम्प्रत्यय को स्पष्ट कीजिए।
  25. प्रश्न- क्या मापन एवं मूल्यांकन शिक्षा का अंग है?
  26. प्रश्न- शिक्षा को परिभाषित कीजिए। आपको जो अब तक ज्ञात परिभाषाएँ हैं उनमें से कौन-सी आपकी राय में सर्वाधिक स्वीकार्य है और क्यों?
  27. प्रश्न- शिक्षा से तुम क्या समझते हो? शिक्षा की परिभाषाएँ लिखिए तथा उसकी विशेषताएँ बताइए।
  28. प्रश्न- शिक्षा का संकीर्ण तथा विस्तृत अर्थ बताइए तथा स्पष्ट कीजिए कि शिक्षा क्या है?
  29. प्रश्न- शिक्षा का 'शाब्दिक अर्थ बताइए।
  30. प्रश्न- शिक्षा का अर्थ स्पष्ट करते हुए इसकी अपने शब्दों में परिभाषा दीजिए।
  31. प्रश्न- शिक्षा से आप क्या समझते हैं?
  32. प्रश्न- शिक्षा को परिभाषित कीजिए।
  33. प्रश्न- शिक्षा की दो परिभाषाएँ लिखिए।
  34. प्रश्न- शिक्षा की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  35. प्रश्न- आपके अनुसार शिक्षा की सर्वाधिक स्वीकार्य परिभाषा कौन-सी है और क्यों?
  36. प्रश्न- 'शिक्षा एक त्रिमुखी प्रक्रिया है।' जॉन डीवी के इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
  37. प्रश्न- 'शिक्षा भावी जीवन की तैयारी मात्र नहीं है, वरन् जीवन-यापन की प्रक्रिया है। जॉन डीवी के इस कथन को उदाहरणों से स्पष्ट कीजिए।
  38. प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र का वर्णन कीजिए।
  39. प्रश्न- शिक्षा विज्ञान है या कला या दोनों? स्पष्ट कीजिए।
  40. प्रश्न- शिक्षा की प्रकृति की विवेचना कीजिए।
  41. प्रश्न- शिक्षा के व्यापक व संकुचित अर्थ को स्पष्ट कीजिए तथा शिक्षा के व्यापक व संकुचित अर्थ में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  42. प्रश्न- शिक्षा और साक्षरता पर संक्षिप्त टिप्पणी दीजिए। इन दोनों में अन्तर व सम्बन्ध स्पष्ट कीजिए।
  43. प्रश्न- शिक्षण और प्रशिक्षण के बारे में प्रकाश डालिए।
  44. प्रश्न- विद्या, ज्ञान, शिक्षण प्रशिक्षण बनाम शिक्षा पर प्रकाश डालिए।
  45. प्रश्न- विद्या और ज्ञान में अन्तर समझाइए।
  46. प्रश्न- शिक्षा और प्रशिक्षण के अन्तर को स्पष्ट कीजिए।

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